अगले साल एक अप्रैल से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने की दिशा में एक बड़ी बाधा गुरुवार को दूर हो गई। जीएसटी परिषद ने जीएसटी के लिये 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार स्तरीय कर ढांचे को मंजूरी दे दी। इसमें खाद्यान्न जैसी आवश्यक वस्तुओं को शून्य कर दायरे में रखा गया है जबकि सामान्य उपभोग की ज्यादातर वस्तुओं पर 5 प्रतिशत कर लगाया जायेगा। इससे महंगाई को कम रखने में मदद मिलेगी।
इसके विपरीत आलीशान कारों, तंबाकू, पान मसाला, वातित पेय पदार्थो जैसी गैर-जरूरी वस्तुओं पर सबसे ऊंची दर से जीएसटी लगेगा। इन पर अतिरिक्त उपकर और स्वच्छ ऊर्जा उपकर भी लगेगा जिससे कुल मिलाकर इन पर कर की दर मौजूदा स्तर पर ही रहेगी।
जीएसटी के मामले में विभिन्न निर्णय जीएसटी परिषद लेती है। केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली इस परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री अथवा उनके प्रतिनिधि शामिल हैं। जीएसटी परिषद की आज हुई बैठक में चार स्तरीय दरों को अंतिम रूप दे दिया गया। इसमें महंगाई को लेकर विशेष ध्यान दिया गया है। आम आदमी पर महंगाई का बोझ नहीं पड़े इसके लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में शामिल खाद्यान्न और दूसरी जरूरी वस्तुओं सहित करीब आधी वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगेगा जबकि दूसरी सामान्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत की सबसे निम्न दर पर कर लगाया जायेगा। इसके अलावा 12 और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें रखीं गई हैं।
जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में दरों पर निर्णय नहीं हो पाया था। आज 28 प्रतिशत की सबसे ऊंची दर के साथ ही अतिरिक्त उपकर लगाने पर भी सहमति बन गई। इससे कुल मिलाकर कर की दर मौजूदा दर के आसपास ही रहेगी। तंबाकू पर मौजूदा व्यवस्था में कुल मिलाकर 65 प्रतिशत कर लगता है। इसी प्रकार वातित पेय पदाथोर्ं पर कुल 40 प्रतिशत कर लगता है
जीएसटी परिषद की गुरुवार से शुरू हुई दो दिवसीय बैठक के पहले दिन की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सबसे ऊंची दर उन वस्तुओं पर लागू होगी जिन पर वर्तमान में 30 से 31 प्रतिशत तक कर लगता है। यानी जिन वस्तुओं पर वर्तमान में 12.5 प्रतिशत उत्पाद शुल्क और 14.5 प्रतिशत की दर से वैट लगता है।
जेटली ने संवाददाताओं को बताया, ‘आखिर में इस बात पर सहमति बनी है कि जिन वस्तुओं पर 30 से 31 प्रतिशत की ऊंची दर पर कर लगता है उनपर अब 28 प्रतिशत की दर से कर लगेगा, लेकिन इसमें एक शर्त होगी। शर्त यह है कि इस वर्ग में कई वस्तुएं हैं जिनका बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल करने लगे हैं, खासतौर से मध्यम वर्ग के लोग इनका उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में उनके लिये 28 अथवा 30 या 31 प्रतिशत की दर ऊंची होगी इसलिये हम इन्हें 18 प्रतिशत की दर में हस्तांतरित कर रहे हैं।’
यह पूछे जाने पर कि क्या आम आदमी पर कर बोझ कुछ कम होगा, जवाब में जेटली ने कहा, ‘उम्मीद है कि ऐसा होगा।’ जेटली ने कहा कि कर की विभिन्न दरों के दायरे में आने वाली वस्तुओं की अंतिम सूची एक समिति तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि साबुन, तेल, शेविंग स्टिक, टूथपेस्ट जैसे उत्पादों को 18 प्रतिशत कर दायरे में रखा जायेगा।
जेटली ने कहा कि खाद्यान्न पर शून्य दर से कर लगेगा ताकि मुद्रास्फीति दबाव कम से कम रखा जा सके। आम उपभोग की सामान्य वस्तुओं को पांच प्रतिशत कर के दायरे में रखा जायेगा। 12 से 18 प्रतिशत की मानक दर के दायरे में ज्यादातर वस्तु एवं सेवाओं को रखा जायेगा। इसके बाद 28 प्रतिशत की दर में ऐसी वस्तुएं आयेंगी जिनपर मौजूदा व्यवस्था में कुल मिलाकर 30 से 31 प्रतिशत कर लगता है। तेल, साबुन, टूथपेस्ट जैसी वस्तुओं को 18 प्रतिशत कर दायरे में रखा जायेगा।
आटोमोबाइल पर जीएसटी के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा, ‘कार और लक्जरी कार में फर्क होता है। कारें 28 प्रतिशत के दायरे में आयेंगी जबकि लक्जरी कार मालिक इससे कुछ अधिक कर दे सकते हैं।’ जेटली ने कहा कि केरल का कर की ऊंची दर के बारे में कुछ अलग कहना था लेकिन ‘सभी फैसले आम सहमति से लिये गये हैं.. हम मतदान टालने में सफल रहे।’
उन्होंने कहा कि राज्यों को उनके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिये कर की दर ऊंची रखने से उपभोक्ताओं पर काफी बोझ पड़ता लेकिन उपकर लगाने से दाम नहीं बढ़ेंगे। अतिरिक्त उपकर और स्वच्छ ऊर्जा उपकर दोनों से मिलने वाली राशि को अलग कोष में रखा जायेगा। इस राशि का इस्तेमाल राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई के लिये किया जायेगा। यह व्यवस्था जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल तक रहेगी। पांच साल के बाद यह उपकर समाप्त हो जायेगा। पांच साल के आखिर में कोष में यदि कोई राशि बचती है तो उसे केन्द्र और राज्यों के बीच बांट दिया जायेगा।
जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने के पहले साल में राज्यों की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिये 50,000 करोड़ रपये की आवश्यकता पड़ सकती है। जीएसटी में केन्द्र और राज्यों में लगने वाले करीब करीब सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जायेंगे। इससे पहले जीएसटी के लिये 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत की चार स्तरीय दरों को लेकर चर्चा शुरू हुई थी। आज जिन दरों को मंजूरी दी गई उनमें मामूली फेरबदल किया गया है। छह प्रतिशत की निम्न दर को कम कर पांच कर दिया गया जबकि 26 प्रतिशत के स्थान पर 28 प्रतिशत की दर रखी गई है। 12 और 18 प्रतिशत की मानक दरें यथावत हैं।
सोने पर केन्द्र सरकार ने चार प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया है जबकि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दो प्रतिशत लगाने पर जोर दिया। बहरहाल इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केन्द्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी कानून संसद के आगामी सत्र में पारित हो सकते हैं जिससे अगले साल एक अप्रैल से जीएसटी को लागू किया जा सकेगा।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने जीएसटी परिषद के फैसले पर ट्वीट किया, ‘जीएसटी दरों पर सहमति बनना बड़ी सफलता है।’ जीएसटी परिषद की दो दिवसीय बैठक कल भी जारी रहेगी। कल बैठक में करदाताओं के उपर अधिकार से जुड़े कठिन मुद्दे पर निर्णय लिया जायेगा। पिछले बैठक में राज्यों ने 11 लाख सेवाकर दाताओं को उनके अधिकार क्षेत्र में दिये जाने की मांग की थी जबकि केन्द्र ने सालाना डेढ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले सभी डीलरों को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में रखे जाने पर एतराज जताया था। जीएसटी परिषद की पहली बैठक में इस बारे में फैसला हुआ था।
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