Thursday, 3 November 2016

लद्दाख में भारत के नहर निर्माण को रोकने पहुंची चीनी ड्रैगन, पीछे हटने को तैयार नहीं


लेह/नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर देमचोक क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक निर्माण कार्य को लेकर बुधवार से गतिरोध बना हुआ है। यह गतिरोध तब पैदा हुआ जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारतीय इंजीनियरों द्वारा मनरेगा के तहत किए जा रहे एक निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई।
चीनी सैनिकों ने तब आपत्ति जताई जब भारतीय सैनिक लेह के 250 किलोमीटर पूर्व में स्थित देमचोक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत ग्रामीणों के लिए ‘हॉट स्प्रिंग’ जल को जोड़ने के लिए एक सिंचाई नहर का निर्माण कर रहे थे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार देमचोक के सामान्य क्षेत्र में स्थित ‘हॉट स्प्रिंग’ स्थल पर बुधवार पूर्वाह्न करीब 10 बजकर 55 मिनट पर भारतीय सेना और पीएलए के बीच गतिरोध पैदा हो गया जो रात तक जारी रहा।
सूत्रों ने बताया कि गुरुवार सुबह भारतीय इंजीनियरों द्वारा जलापूर्ति के लिए पाइप बिछाए जाने के साथ ही चीनी सैनिक फिर से एलएसी पर पहुंच गए और गतिरोध जारी है। उन्होंने कहा कि करीब 55 चीनी सैनिक घटनास्थल पर पहुंचे और ‘आक्रामक ढंग’ से काम रोक दिया जिसकी वजह से सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मियों को चीनी सैनिकों की ‘आक्रामकता’ पर अंकुश लगाने के लिए घटनास्थल पर पहुंचना पड़ा।
चीनी सैनिकों ने एलएसी पर मोर्चा संभाल लिया और काम रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को कोई निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक-दूसरे की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है। वहीं, भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच समझौते के अनुसार निर्माण कार्य के बारे में सूचना केवल तभी साझा करनी होती है जब कार्य रक्षा उद्देश्यों से संबंधित हो।
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने बैनर लगा दिए हैं और वे वहां डटे हुए हैं। सेना तथा आईटीबीपी के जवान चीनी सैनिकों को ‘एक इंच आगे’ नहीं बढ़ने दे रहे हैं। पीएलए दावा कर रही है कि यह क्षेत्र चीन का है। इस क्षेत्र में 2014 में भी ऐसी ही घटना हुयी थी जब मनरेगा योजना के तहत निलुंग नाला पर सिंचाई नहर बनाने का फैसला किया गया था। वह चीन के साथ विवाद का कारण रहा है।
पीएलए ने भारतीय कार्रवाई के विरोध में चार्डिंग-निलुंग नाला (सीएनएन) ट्रैक जंक्शन में तंबू गाड़ने के लिये ताशिगोंग के ग्रामीणों को भेज दिया था। इस बीच, दिल्ली में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने जोर दिया कि यह मामला कोई गतिरोध नहीं है और स्थापित प्रक्रिया के जरिए मुद्दे का हल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष से ऐसी आपत्तियां असामान्य नहीं हैं और इस तरह की स्थिति को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जाता है।

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